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आगरा सभ्य समाज व राष्ट्र के लिए बाल श्रम एक अभिशाप हैं : श्री राजेश खुराना

सभ्य समाज व राष्ट्र के लिए बाल श्रम एक अभिशाप हैं : श्री राजेश खुराना

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विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर विशेष –

सभ्य समाज व राष्ट्र के लिए बाल श्रम एक अभिशाप हैं : श्री राजेश खुराना

बच्चे सशक्त राष्ट्र की सुदृढ़ नींव हैं : श्री अरविंद पुष्कर एडवोकेट

आगरा। विश्व बालश्रम निषेध दिवस यानी बाल मजदूरी मनाही दिवस कहते हैं। विश्व बालश्रम निषेध दिवस को अंग्रेजी में ‘वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर’ कहा जाता हैं। यह दिवस हर साल 12 जून को बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जगरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

इस संदर्भ में आगरा स्मार्ट सिटी, भारत सरकार के सलाहकार सदस्य एवं व्यापारी, उधोगपति, निर्यातक तथा उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति लखनऊ के सचिव व हिन्दू जागरण मंच, ब्रज प्रान्त उ.प्र. के प्रदेश संयोजक और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष, बेटी बचाओ आयाम के अध्यक्ष तथा आत्मनिर्भर एक प्रयास के चेयरमैन व सुप्रशिद्ध समाज सेवक राजेश खुराना ने अपने वक्तव्य में बताया कि सभ्य समाज व राष्ट्र के लिए बाल श्रम एक अभिशाप हैं। आइए, विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर आज़ समाज को बाल श्रम से मुक्त करने हेतु संकल्पित हों। बच्चों के जीवन को शिक्षा के प्रकाश में आलौकित कर उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हो। यह दिवस इसलिए भी बहुत अहम है, क्योंकि यह बच्चों के विकास और उनके हक के लिए आवश्यक चीजों की और ध्यान केंद्रित करता है। बालश्रम के विरोध में यह दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है। वहीं, विश्व में हर साल बाल मजदूरी कराने की संख्या बढ़ रही है। इसी बाल मजदूरी अथवा बालश्रम को रोकने के लिए हर साल विश्व बालश्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। हम सभी के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि बच्चों को बाल मजदूरी करने से रोके और उनसे बाल अवस्था में कार्य कराकर उनके सपने ना छीने। उनके हाथों में मजदूरी करा के छाले नहीं होनी चाहिए बल्कि, कलम और किताब होनी चाहिए। यह हमारे देश का भविष्य हैं और इन्हें बाल श्रम करने से रोकना हम सबका कर्तव्य है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने बाल श्रम खत्म करने के लिए आवश्यक कार्रवाई के लिए वर्ष 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का शुभारंभ किया था। बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जगरूकता फैलाने के उद्देश्य से विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। हमारी संस्था आत्मनिर्भर एक प्रयास द्वारा इस दिन शहर के विभिन्न क्षत्रों में विभिन्न प्रकार के अभियान चलती हैं जैसे कई जगहों में अनाध बच्चों को खाना खिलाया किताब कॉपी पेंसिल रबड़ आदि की किट बच्चों को किताबे उपहार में देती हैं तथा गरीब बच्चों को स्कूल में दाखिला भी करवाती हैं। हमारी संस्था द्वारा लोगो में बाल श्रम के प्रति जागरूकता पैदा करने तथा उन्हें शिक्षा की ओर ध्यान देने के उद्देश्य से काम करती हैं। बालश्रम की समस्या का समाधान एवं प्रत्येक बच्चे को उसका अधिकार पहुंचाना यह दिवस का उद्देश्य है।

इस महत्वपूर्ण विचार को आगे बढ़ाते हुए इस संदर्भ में शहर के प्रशिद्ध क्रिमनल लॉयर श्री अरविंद कुमार पुष्कर ने अपने वक्तव्य में कहा कि आइए हम सब मिलकर आज विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर संकल्प लें कि बच्चों के शिक्षा के अधिकार का संरक्षण करते हुए उन्हें बाल श्रम से मुक्त रखेंगे क्योंकि बच्चे सशक्त राष्ट्र की सुदृढ़ नींव हैं। बाल श्रम अमानवीय एवं दंडनीय कृत्य है, इसके प्रति स्वयं के साथ-साथ समाज को भी जागरूक करें। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमान के मुताबिक विश्व में तकरीबन 35 करोड़ बाल श्रमिक हैं। यह एक आशर्यचकित करने वाले आकड़े है जिसे हम सभी आम नागरिक ध्यान होगा और इस आकड़े को काम करने के लिए हमे हर संभव प्रयास करना होगा। बालश्रम एक अपराध है,जो बच्चों के द्वारा अपने बाल्यकाल में करवाया गया श्रम या काम है। बालश्रम को बाल मजदूरी भी कहा जाता है। बालश्रम कराना भारत के साथ कई देशों में गैर कानूनी है। बालश्रम एक कठोर अपराध है, जिसे बच्चों को खेलने-कूदने के उम्र में उनसे काम करवाया जाता है। बालश्रम एक अभिशाप है जिसने अपना जाल पूरे देश में बिछा दिया है कि प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी यह अपना प्रचंड रूप लेने में सफलता प्राप्त कर रहा है। किसी भी बच्चे के बाल उम्र के दौरान पैसों या अन्य किसी भी लोभ के बदले में करवाया गया किसी भी तरह के काम को बालश्रम कहा जाता है। इस प्रकार की मजदूरी पर अधिकतर पैसों या जरूरतों के बदले काम कराया जाता है। भारत की केंद्र सरकार ने 1986 में ‘बालश्रम निषेध और नियमन अधिनियम’ पारित कर दिया। इस अधिनियम के अनुसार बालश्रम तकनीकी सलाहकार समिति नियुक्त की गई। इस समिति की सिफारिश के अनुसार, खतरनाक उद्योगों में बच्चों की नियुक्ति निषिद्ध है। बालश्रम की समस्या का समाधान एवं प्रत्येक बच्चे को उसका अधिकार पहुंचाना यह दिवस का उद्देश्य है।

अरविंद कुमार श्रीवास्तव रिपोर्ट आवाज इंडिया लाइव फिरोजाबाद

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anupam

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