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सुपौल बिहार सुशासन बाबू के राज में विद्यालय की खुलती पोल

सुशासन बाबू के राज में विद्यालय की खुलती पोल

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रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार।

 

एंकर:-मामला सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय मुख्यालय अंतर्गत प्रखंड क्षेत्र के जदिया स्थित प्राथमिक विद्यालय अनंतपुर की जमीनी पोल खुलने की है।
सरकार द्वारा विद्यालय में चलाए जा रहे -MDM,कई दिनों से बंद पड़ी है।
जब पत्रकार द्वारा विद्यालय के प्रधानाध्यापिका से पूछा गया की विद्यालय में बच्चों का -MDM,- क्यों बंद है।
तो उन्होंने बताया की विद्यालय में -MDM,-का सामान देने वाला विक्रेता द्वारा-12-प्रतिशत ले लिया जाता है।
जिस कारण-MDM-बंद पड़ा है।
मैं अपने वेतन से तो नहीं दे सकती हूँ न।
साथ हीं उन्होंने ये भी बताया की मेरे द्वारा इसकी जानकारी प्रखंड -MDM,- पदाधिकारी को दी गई तो उन्होंने बताया की पहला बार -बारह-प्रतिशत लिया गया है।
दूसरे बार से आठ प्रतिशत हीं लिया जाएगा।
वहीं प्रधानाध्यापिका ने ये भी बताया की इस विद्यालय में पाँच शिक्षिकाएं हैं।
जिसमें तीन शिक्षिकाएं छुट्टी पर हैं।
तीनों शिक्षिकाएं अपने अपने बच्चों को जहाँ पढ़ाते हैं वहीं पहुँचाने गए हैं।
अब आप सोच सकते हैं शिक्षक के बच्चों का भविष्य नहीं बिगड़ना चाहिए।
चाहे गरीबों के बच्चों की जिंदगी बेकार हो जाय कोई फर्क नहीं पड़ता है।
उनको ये नहीं पता है की सरकार जो उनको सैलरी देती है।
जिस सैलरी से अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे प्राइवेट विद्यालय में बाहर भेज कर पढ़ाया करते हैं।
वो रुपया सरकार उन्हीं गरीबों के बच्चों के माँ पिताजी और जनता से टैक्स के रूप में लिए गए रुपए हैं।
एक माचिस से लेकर हरएक अपने जरूरत का सामान खरीद कर चुकाते हैं।
साथ हीं उन्होंने ये भी बताया की -एक सौ दस बच्चे नामांकन हैं।
लेकिन कुछ दिनों से -MDM-बंद रहने के कारण बच्चे-50-हींआए हैं।
एक बात सोचने की है की मजबूरी बता कर एक साथ एक हीं विद्यालय के तीन शिक्षिकाएं छुट्टी पर रहतीं हैं।
ये कहां तक सही है।
वहीं प्रखंड-MDM-पदाधिकारी से पत्रकार द्वारा दुरभाष पर सम्पर्क कर प्राथमिक विद्यालय अनंतपुर में -MDM- बंद होने की जानकारी दी गई तो उन्होंने बताया की हम क्या कर सकते हैं।
प्रधानाध्यापिका अपना विक्रेता बदल लें।
बाद में किसी दिन जाकर देख लेगें।
वहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से पत्रकार द्वारा दूरभाष पर सम्पर्क कर विद्यालय के बारे जानकारी देने की कोशिश की गई तो लगातार तीसरी बार तक कॉल की घंटी बजने पर बात हुई तो उन्होंने बताया की जानकारी मिली है।
जाँच करवाते हैं।
अब आप समझ सकते हैं की सुशासन बाबू की सरकार में विद्यालय की जमीनी हकीकत क्या है।
पदाधिकारी भी अपने दायित्व को ठीक तरह से निर्वाह नहीं करते हैं।
एक बात है की ये पहला विद्यालय है की जिसमें अदभुत देखने को मिला है की इस विद्यालय में पांचों शिक्षक महिलाएं हीं हैं पुरुष एक भी नहीं है।
अब देखना लाजमी होगा की सुशासन बाबू की सरकार में कब तक भ्रष्टाचार से मुक्त विभाग होगा।
क्या भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही होगी या फिर वैसे हीं मिली भगत से बातों को दबा दिया जाता है।

anupam

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