सुपौल बिहार यूरिया की किल्लत से किसान में हाहाकार
यूरिया की किल्लत से किसान में हाहाकार

रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार।
एंकर:-मामला सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय मुख्यालय अन्तर्गत प्रखंड क्षेत्र में यूरिया रिटेलरों के यहाँ किसानों की भीड़ से हाहाकार मचने की है। कंपकपाती ठंढ में भी वृद्ध महिला, पुरुष,किसान यूरिया लेने के लिए आपस लड़ने को तैयार रहते हैं।
किसानों की लम्बी कतार देखकर यूरिया की कमी को देखकर जल्दबाज़ी में यूरिया लेने के लिए किसान पुलिस प्रशासन रहने के बावजूद भी आपस में हीं हो हंगामा शुरू कर देते हैं।
किसानों ने बताया की हमलोगों को खाद नहीं मिल रहा है।
कई दिनों से यूरिया लेने के लिए यहां वहां लाइन में खड़े होकर दर दर भटकना पर रहा है।
जिससे हमलोग बहुत परेशान हैं।
साथ हीं खाद लेने के लिए कंपकपाती ठंढ में माईनस -13, डिग्री सेल्सियस में भी हमलोग यूरिया लेने के लिए लंबी कतार में लगे हुए हैं।
अगर लाइन में मेरा नम्बर आने तक यूरिया मिल गया तो ठीक है।
नहीं मिलेगा तो फिर दूसरी जगह कहीं और जगहों पर लाइन में खड़ा होना पड़ेगा।
वहीं कुछ किसानों ने ये भी बताया की बाजार में खाद मिलता हीं नहीं है।
यूरिया की ब्लैकमेलिंग होती है।
भ्रष्टाचार काफी बढ़ गया है।
एक तरफ किसानों को अन्य का दाता कहा जाता है।
देश में किसान हीं है जो सब का पेट भरता है।
जिस किसान से देश हीं नहीं पूरा विश्व चलता है।
आज उस किसान की जिंदगी देखने लायक है।
कैसे किसान अन्य उपजाने के लिए दिन रात एक करते हैं।
ठंढ, गर्मी,बरसात, होने के बाबजूद,भी किसान अपना खेती सही समय पर करते हैं।
जिस किसान के उपज पर देश विदेश चलता है।
उस किसान की स्थिति आज देखने पर मजबूर है।
जिस किसानों के वोट से किसानों की उपजाया अनाजों से खादी, खाखी, अन्य सभी चलते हैं।
उस किसानों की जिंदगी आज बद से बदतर हालत में गुजर रही है।
आखिर ऐसा किसानों के साथ हीं क्यों हो रहा है।
आज किसान अन्य उपजाना छोड़ दे तो देश विदेश के लोग भूखे मर जाएंगे।
अब देखना लाजमी होगा की सुशासन बाबू की सरकार में कब तक किसान जिल्लत भड़ी जिंदगी जीता रहेगा।
क्या किसानों को अपना हक मिलेगा।
या फिर किसान ऐसे हीं दर दर भटकते रहेंगे।
बाईट:-किसान।
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