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सुपौल बिहार सरकारी विद्यालय को दबंगों द्वारा किया जा रहा है अतिक्रमण, प्रशासन मौन

सरकारी विद्यालय को दबंगों द्वारा किया जा रहा है अतिक्रमण, प्रशासन मौन।

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रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार।

एंकर:-मामला सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय मुख्यालय अंतर्गत करहड़वा पंचायत के ओरहा स्थित प्राथमिक विद्यालय में गाँव के दबंगों द्वारा अतिक्रमण करने की है।
विद्यालय के शिक्षिका ने बताया की प्रथम तो विद्यालय में चार दिवारी नहीं है, दूसरा शौचालय भी नहीं है,ऊपर से गाँव के दबंगों द्वारा विद्यालय परिसर को जोड़ जबरदस्ती अतिक्रमण किया जा रहा है।
प्रशासन मुख दर्शक बनी हुई है।
ये कोई नई बात नहीं है।
बिहार में कई विद्यालय ऐसे हैं जिसमें शौचालय नहीं है।
अगर है भी तो ठीक तरीके नहीं चल रही है।
ज्यादा तर महिलाओं को विद्यालय में शौचालय नहीं रहने के कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।
वहीं बिहार में कई ऐसे सरकारी विद्यालय हैं जिसे गाँव के दबंगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है।
और कई विद्यालय में धीरे धीरे अतिक्रमण किया जा रहा है।
एक तरफ सरकार विद्यालय के नाम पर करोड़ों अरबों रुपए खर्च करती है।
गाँव गाँव शौचालय निर्माण किया जा रहा है।
लेकिन सरकारी विद्यालय की स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है।
जब विद्यालय में हीं विकास नहीं है तो फिर आप समझ सकते हैं की गाँव में विकास कैसी होगी।
जब तक सरकार विद्यालय की स्थिति ठीक नहीं करेगी तब तक बिहार का विकास कैसे होगा।
पढ़ेगा बिहार तभी तो बढ़ेगा बिहार।
आज बिहार में जो शिक्षक छात्र छात्रा को पढ़ाने के लिए जनता के दिए गए टैक्स के रुपए से सैलरी लेते हैं।
उन सभी शिक्षक के बच्चे निजी विद्यालयों पढ़ते हैं।
आखिर ऐसा क्यों अब आप सोच सकते हैं सरकारी विद्यालयों की स्थिति ठीक रहती,अच्छे से बच्चों की पढ़ाई होती तो ऐसा दिन देखने को नहीं मिलता।
एक बात और है की गाँव के विद्यालयों में गाँव के हीं शिक्षक रहने से भी विद्यालय की स्थिति ऐसी बनी हुई है।
सरकार को चाहिए की विद्यालय में जो भी शिक्षक हो वो अनुमंडल या जिला से बाहर का हो तभी विद्यालय में पढ़ाई की स्थिति कुछ सुधर सकती है।
अब देखना लाजमी होगा की सुशासन बाबू के सरकार में विद्यालय की स्थिति कब तक सुधर पाती है।
या फिर विद्यालय की स्थिति ऐसी हीं बनी रहेगी।
क्या सुशासन बाबू की सरकार सिर्फ नाम का हीं सुशासन रह गया है।
आखिर सुशासन बाबू के पदाधिकारीगण इस और ध्यान क्यों नहीं देते हैं।
अगर पदाधिकारीगण विद्यालय की स्थिति और ध्यान देते तो ये स्थिति विद्यालय की नहीं होती।

बाईट:-शिक्षिका।

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anupam

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