सहरसा बिहार जानिए सहरसा में स्थित मां कात्यायनी मंदिर की कहानी और क्या है ग्रामीणों की मांग
जानिए सहरसा में स्थित मां कात्यायनी मंदिर की कहानी और क्या है ग्रामीणों की मांग

*संवाददाता :-* विकास कुमार सहरसा (बिहार)।
*एंकर :-* सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड अंतर्गत महारस गांव स्थित माँ कत्यायनी मंदिर में नवरात्रा में खास तौर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है।आज बुधवार है और नवरात्र का तीसरा दिन है। माँ कात्यायनी का देवी दुर्गा के छठे रूप माँ कात्यायनी की पूजा होती है। चार भुजाओं वाली मां कत्यायनी शेर की सवारी करती हैं
मंदिर के पुजारी अरुण ठाकुर ने बताया की मां कात्यायनी का पूरा शरीर महारस स्थित मंदिर में है जो बहुत समय से है। वही धमहारा स्थित माँ कात्यायनी में माँ कात्यायनी का सिर्फ एक हाथ है जो मंदिर में स्थापित है।महारस भगवती के दरवार में आने वाले श्रंढलुओ कि मनोकामना अवश्य पूर्ण होने से आस्था दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। आज खास तौर पर माँ कात्यायनी मंदिर में पूजा अर्चना के साथ साथ रात्रि में मंदिर के पूजारी व ग्रामीणों ने पूरी रात जग कर माँ भगवती की आराधना करती है।
पुजारी ने बताया कि माँ कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था। इसलिए उनका नाम कत्यायनी पड़ा।सभी देवियों में माँ कात्यायनी को सबसे फलदायिनी माना गया है। ऋषि कात्यायन की कोई संतान नहीं थी। इसलिए मां भगवती को पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने वर्षों तक कोर तपस्या की। मां भगवती ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न हुई और उन्होंने कात्यायन को पुत्री प्राप्ति का वरदान दिया।उसी बीच राक्षस महिषासुर का धरती वासियों पर अत्याचार बढ़ गया था। ऐसे में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवों के तेज से ऋषि कात्यायन के घर एक कन्या ने जन्म लिया।ऋषि कात्यायन के घर में जन्म लेने के कारण इनका नाम कत्यायनी पड़ा।माँ कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था।
सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड से से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह मंदिर।माँ कत्यायनी मंदिर दिन प्रतिदिन आस्था का केंद्र बनता जा रहा है।यहां दूर दूर से श्रंढलुओ मंदिर में पूजा अर्चना करने आते है।मंदिर के पुजारियों के अनुसार माँ कात्यायनी का वास एक ऋषि के घर था।यहा माँ कात्यायनी की पांच बेटिया थी। माँ कात्यायनी की बेटियों से राक्षस ने शादी करना चाहता था।माँ कात्यायनी ने राक्षस से शर्त रखी ओर बोली तुम चारो तरफ नदी खोद दो फिर मैं अपनी बेटी से विवाह करवा दूंगी। राक्षस ने नदी खोदना शुरू किया जब नदी खोदने में थोड़ा बाकी रह गया था तो माँ कात्यायनी ने मुर्गा का रूप धारण कर फुक दिया जिससे गुस्साए राक्षस से माँ कात्यायनी पर प्रहार कर एक हाथ काट दिया। हाथ काटने के बाद राक्षस लेकर चला गया। आज वही हाथ धमहारा स्थित मंदिर में है।
वहीं इस मंदिर को लेकर ग्रामीण बालकिशोर सिंह,मुखिया प्रेम कुमार,
जयकांत कुशवाहा,हरिशंकर सिंह,
धीरेंद्र यादव, कैलाश, सुरेंद्र सिंह, रणवीर कुमार, प्रमोद सिंह, महेंद्र सिंह सहित कई ग्रामीन माँ कात्यायनी मंदिर को पर्यटक स्थल में घोसित करने की मांग सरकार से की है।ताकि मंदिर का विकास हो सके।
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