आगरा अनेको प्रकार के ज़ुल्म सहने के बाद भी सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया : राजेश खुराना
अनेको प्रकार के ज़ुल्म सहने के बाद भी सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया : राजेश खुराना

आगरा
अरविंद कुमार श्रीवास्तव रिपोर्ट
आगरा। बहुत दुख होता है ये सोचकर कि विधर्मियों, वामपंथीयो और गद्दारों ने इतिहास की पुस्तकों में टीपुसुल्तान, बाबर, औरँगजेब, अकबर जैसे लुटरे, हत्यारो और अत्याचारियों के महिमामण्डन से भर दिया और चहूदिश आण चक्रवर्ती महान सम्राट क्षत्रिय वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान जैसे योद्धाओ को नई पीढ़ी को पढ़ने नही दिया बल्कि इतिहास छुपाकर दबा दिया।
इस संदर्भ में आगरा स्मार्ट सिटी, भारत सरकार के सलाहकार सदस्य एवं व्यापारी, उधोगपति, निर्यातक तथा उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति लखनऊ के सचिव व हिन्दू जागरण मंच, ब्रज प्रान्त उ.प्र. के प्रदेश संयोजक और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष, बेटी बचाओ आयाम के अध्यक्ष तथा आत्मनिर्भर एक प्रयास के चेयरमैन व सुप्रशिद्ध समाज सेवक राजेश खुराना ने अपने वक्तव्य में पत्रकार वार्ता में बताया कि आज की पिढी इनकी वीर गाथाओ के बारे मे बहुत कम जानती है। तो आइए जानते है विभिन माध्यमों से प्राप्त जानकारियों के अनुसार चहूदिश आण चक्रवर्ती महान सम्राट क्षत्रिय वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान से जुड़े इतिहास एवं रोचक तथ्यों के बारे में जो इस प्रकार हैं – महावीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान आखिर कौन थे ? पृथ्वीराज चौहान भारतीय इतिहास मे एक बहुत ही अविस्मरणीय नाम है। चौहान वंश मे जन्मे पृथ्वीराज आखिरी हिन्दू शासक भी थे। महज 11 वर्ष की उम्र मे, उन्होने अपने पिता की मृत्यु के पश्चात दिल्ली और अजमेर का शासन संभाला और उसे कई सीमाओ तक फैलाया भी था, परंतु अंत मे वे राजा जयचंद और अपनों की ही राजनीति का शिकार हुये और अपनी रियासत हार बैठे, परंतु उनकी हार के बाद कोई हिन्दू शासक उनकी कमी पूरी नहीं कर पाया। पृथ्वीराज को राय पिथोरा भी कहा जाता था। पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही एक कुशल योध्दा थे, उन्होने युध्द के अनेक गुण सीखे थे। उन्होने अपने बाल्य काल से ही शब्ध्भेदी बाण विद्या का अभ्यास किया था। पृथ्वीराज चौहान एक क्षत्रीय राजा थे, जो 11 वीं शताब्दी में 1178-92 तक एक बड़े साम्राज्य के राजा थे। ये उत्तरी अमजेर एवं दिल्ली में राज करते थे। पृथ्वीराज चौहान का जन्म सन 1166 में गुजरात में हुआ था। मुहम्मद गौरी के साथ पृथ्वीराज के कुल 18 युध्द हुये थे, जिसमे से 17 मे पृथ्वीराज विजयी रहे और अंतिम युद्ध में अपनों की गद्दारी के कारण हर गए। युध्द के पश्चात पृथ्वीराज को बंदी बनाकर उनके राज्य ले जाया गया, वही पर यातना के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। कहते है संयोगिता ने पृथ्वीराज की मृत्यु के बाद, लाल किले में जोहर कर लिया था। मतलब गरम आग के कुंड में कूद के जान दे दी। पृथ्वीराज चौहान का भारतीय इतिहास के महान हिन्दू राजपूत राजा थे, जो मुगलों के खिलाफ हमेशा एक ताकतवर राजा बन कर खड़े रहे। इनका राज उत्तर से लेकर भारत में कई जगह फैला हुआ था। पुरा नाम पृथ्वीराज चौहान, अन्य नाम राय पिथौरा, माता/पिता नाम राजा सोमेश्वर चौहान/कमलादेवी, पत्नी संयोगिता थी उनका जन्म 1149 में हुआ था। राज्याभिषेक 1169 में हुआ तथा उनकी मृत्यु 1192 में हुई थी। उनकी राजधानी दिल्ली, अजमेर रही थी। वे चौहान/ राजपूत वंश के थे। प्रथ्वीराज चौहान ने 12 वर्ष कि उम्र मे बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ दिया था। पृथ्वीराज चौहान ने 16 वर्ष की आयु मे ही महाबली नाहरराय को युद्ध मे हराकर माड़वकर पर विजय प्राप्त की थी।
श्री खुराना बताया कि लोग बताते हैं कि पृथ्वीराज चौहान ने तलवार के एक वार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था। महान सम्राट प्रथ्वीराज चौहान कि तलवार का वजन 84 किलो था, और उसे वो घंटों एक हाथ से चलाते थे। सम्राट पृथ्वीराज चौहान पशु-पक्षियो के साथ बाते करने की कला जानते थे।प्रथ्वीराज चौहान 1166 मे अजमेर की गद्दी पर बैठे और तीन वर्ष के बाद यानि 1169 मे दिल्ली के सिहासन पर बैठकर पुरे हिन्दुस्तान पर राज किया। सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तेरह पत्निया थी। इनमे संयोगिता सबसे प्रसिद्ध थी। पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को 16 बार युद्ध मे हराकर जीवन दान दिया था और 16 बार कुरान की कसम का खिलवाई थी। गौरी ने 17 वी बार मे चौहान को धौके से बंदी बनाया और अपने देश ले जाकर चौहान की दोनो आँखे फोड दी थी। उसके बाद भी राजदरबार मे पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया था। महमूद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर अनेको प्रकार की पिड़ा दी थी और कई महिनो तक भुखा रखा था, फिर भी सम्राट की मृत्यु न हुई थी। सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सबसे बड़ी विशेषता यह थी की जन्म से शब्द भेदी बाण की कला ज्ञात थी, जो की अयोध्या नरेश राजा दशरथ के बाद केवल उन्ही को कड़े अभ्यास से प्राप्त हुई। इस बात में कोई दो-राय नहीं कि वामपंथियों ने अपनी सुविधानुसार इतिहास में छेड़-छाड़ की, मक्कार वामी इतिहासकारों ने बेहद चालाकी के साथ जहाँ हिन्दू राजाओं को कमजोर दिखाया वहीं मुस्लिम आक्रान्ताओं को शूरवीर और महान बताया। यही कारण है कि हमारी युवा पीढ़ी पृथ्वीराज चौहान जैसे विराट हिन्दू योद्धा के बारे में कुछ भी नहीं जानती। मुहम्मद गोरी ने चौहान को धोके से पकड़ लिया और बंधी बना के तरह तरह की यातनाएँ दीं। महीनों भूखा रहने और घनघोर अत्याचार सहने के बाद भी पृथ्वीराज नहीं टूटे ! अंत में थक हार के गोरी ने उनको फांसी पे लटकाने का फैसला किया। लेकिन इसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को उसी के भरे दरबार मे शब्द भेदी बाण से मारा था और गौरी को मारने के बाद भी वह दुश्मन के हाथो नहीं मरे अर्थार्त अपने मित्र चन्द्रबरदाई के हाथो मरे, दोनो ने एक दुसरे को कटार घोंप कर मार लिया क्योंकि उनके पास उस कठिन समय में और कोई विकल्प नहीं था। राष्ट्र और अपनी मातृभूमि के लिए अनेको प्रकार के ज़ुल्म सहने के बाद भी सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक विधर्मियों के सामने कभी नहीं झुकने नहीं दिया। इतिहास के ऐसे चहूदिश आण चक्रवर्ती महान सम्राट क्षत्रिय महावीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान को बारम्बार नमन और वन्दन।
अरविंद कुमार श्रीवास्तव रिपोर्ट आवाज इंडिया लाइव फिरोजाबाद
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