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चित्रकूट किसान यूनियन ने खण्ड विकास अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

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चित्रकूट उत्तर प्रदेश न्यूज

 

अन्ना पशु फसलो को साफ कर देते है जिससे किसान न तो कर्ज़ भर पाता है न ही बिजली का बकाया दे पाता है औऱ बैंक द्वारा आरसी काट देने पर मजबूरी में किसान को आत्महत्या करनी पड़ती हैं

चित्रकूट- जनपद के रामनगर विकास खण्ड परिसर में आज किसानों की ब्लाक स्तरीय पंचायत सम्पन्न हुई जिसके बाद किसान यूनियन ने किसानों की मुख्य समस्याए खाद,बिजली,अन्ना पशु सहित 5 बिन्दुओ में रखते हुए खण्ड विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर त्वरित समाधान कराने का आग्रह किया
यूनियन के जिलाध्यक्ष राम सिंह पटेल ने पत्रकार समाज कल्याण समिति के जिला महासचिव वरिष्ठ पत्रकार रामचन्द्र तिवारी को बताया कि बुन्देल खंड में अन्ना प्रथा अब किसी विपदा से काम नहीं रह गई है । सदियों से चली आ रही इस प्रथा में पहले चैत्र मॉस में फसल कटाई के बाद , गोवंश को खुला छोड़ा जाता था क्योकि उस समय सिंचाई के साधन बहुत कम होने से गर्मियों में खेती नही होती थी, पिछले लगभग 2 दशको में इस प्रथा को किसानों ने हमेशा के लिए अपना लिया । हालात ऐसे हुए की जानवर सड़को पर घूमने लगे , फसलों को उजाड़ने लगे , किसानों में आपसी संघर्ष होने लगे ।
जिला महामंत्री अरुण कुमार पाण्डेय ने सरस भावना के ब्लाक रिपोर्टर पुष्पराज यादव को बताया कि बुंदेलखंड इलाके में यह प्रथा थी की जब चैत्र मास में फसल कट जाती थी , और खेत खाली हो जाते थे ,उस समय जानवरो को खुला छोड़ दिया जाता था । इसके पीछे किसानों का एक कृषि ज्ञान काम करता था । खुले खेतों में इन जानवरो के विचरण करने और चरने से उन्हें अपने खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती थी । खेत में इन जानवरों का गोमूत्र और गोबर खाद का काम करता था । हालात बदले और किसानों ने मशीनो से दोस्ती कर ली , गो वंश से नाता तोड़ लिया । नतीजा ये हुआ कि दूध देने वाले जानवरो के अलावा सभी को खुले मे छोड दिया गया । गोवंश को जब अधिकांश किसानों ने हमेशा के लिये खुला छोड़ा तो यही जानवर किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है ।
इस लावारिश पशु धन को जहां पानी मिला वहां अपनी प्यास बुझा ली जो खेत मिला उसी से अपने पेट की आग बुझा ली । जब खेतो की फैसले उजड़ने लगी तो किसानों को ये समस्या किसी विपदा से कम नहीं जान पड़ी
ब्लाक अध्यक्ष विनय त्रिपाठी उर्फ मुन्ना देवरवा ने बताया कि अन्ना पशुओ का के प्रकोप का दंश पूरा बुंदेलखंड झेल रहा है उनकी स्वयं की 5 बीघे फसल जिसमे बाजरा, धान और अरहर की फसल थी जिसे अन्ना गौ वँशो ने चर लिया जिससे उन्हें करीब 50 हजार का नुकसान हुआ श्री त्रिपाठी ने बताया कि इस तरह की महँगाई में 9 सौ रुपये प्रति घण्टे की जुताई एवं इतनी ही बुवाई और 100 ₹/घण्टे सिंचाई लगती है जिसके हिसाब से एक बीघे में तकरीबन 5 हजार रुपये लगते हैं और मुनाफा शून्य होता है जिसके कारण किसान न तो कर्ज़ भर पाता है न ही बिजली का बकाया दे पाता है औऱ बैंक आरसी काट देता है जिसके चलते मजबूरी में किसान को आत्महत्या करनी पड़ती हैं ।
मानिकपुर तहसील अध्यक्ष तीरथ सिंह ने बताया कि किसानों को समय से खाद नही मिलती, दिनभर लाइन में लगा किसान थक हारकर घर वापस आता है जिससे उसकी बुवाई समय से नही हो पाती
पंचायत में ब्लाक महामंत्री अरुण पाण्डेय, राजकुमार उपाध्याय सहित दर्जनों किसान मौजूद रहे।

मंडल प्रभारी गंगा प्रसाद करवरिया

anupam

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