नीतीश पूर्व सांसद आनंद मोहन के घर जाएंगे
नीतीश पूर्व सांसद आनंद मोहन के घर जाएंगे

*संवाददाता :-* विकास कुमार सहरसा (बिहार)।
*स्टोरी :-* CM नीतीश पूर्व सांसद आनंद मोहन के घर जाएंगे। सांसद के दादा स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर सिंह, चाचा पद्मानंद सिंह ब्रह्मचारी के मूर्ति का करेंगे अनावरण।
*एंकर :-* मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज पंचगछिया पहुँच कर स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर सिंह एवं पद्मानंद सिंह उर्फ ब्रह्मचारी जी के मूर्ति का अनवारण करेगें। जानकारी के अनुसार पूर्व सांसद आनंद मोहन के आग्रह पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वतंत्रता सेनानी के मूर्ति का अनवारण करने एवं पूर्व सांसद आनंद मोहन कर घर दूसरी बार पधारेगें।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दूसरी बार पंचगछिया पधारेगें। मुख्यमंत्री हवाई यात्रा के माध्यम से प्रियब्रत खेल मैदान में 03 बजे के आसपास हेलीकॉप्टर से उतरेगें। वहाँ से सड़क मार्ग होकर पंचगछिया खादी ग्रामोद्योग प्रांगण में बने स्वतंत्रता सेनानी के मूर्तियों का अनावरण करेगें। मूर्ति अनावरण के उपरांत शोशल क्लब पंचगछिया के मैदान में जनसभा को संबोधित करेगें और जनसभा को संबोधित करने के उपरांत पूर्व सांसद के आवास पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार परिवारों के साथ शिरकत करेगें।
पूर्व सांसद आनन्द मोहन अनावरण कार्यक्रम को लेकर कहा कि अनावरण का कार्यक्रम है वो आ रहे हैं कोशी के गांधी के नाम से प्रख्यात बाबू रामबहादुर सिंह जी जो हमारे दादा थे उनकी मूर्ति का अनावरण करने और उन्हीं के साथ साथ जो सन 1942 ईस्वी के प्रखर क्रांतिकारी थे जिनके नाम से ब्रह्मचारी के नाम से अंग्रेज कांपते थे उनकी मूर्ति का भी अनावरण करेंगे।जिसके लिए मुख्यमंत्री जी आ रहे हैं।इस मूर्ति का शिलान्यास वर्ष 1998 में हुआ था जब मैं एमपी हुआ करता था।और शिलान्यास में पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत जी आये थे और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जी भी आये थे।साथ ही साथ बगल के देश के खाद्य आपूर्ति मंत्री गजेंद्र नारायण सिंह भी आये थे।उन्होंने ये भी कहा स्वन्त्रता सेनानीयों को श्रद्धा सुमन अर्पित करना उनको याद करना अपने आप में खास है।कहते हैं वो देश मर जाता है जब वो अपने सैनिकों और महापुरुषों को भूल जाता है।उनकी प्रतिमा के अनावरण में जो लगातार 1919 से लेकर 1946 तक आजादी की लड़ाई लड़ते रहे स्वन्त्रता तक हर्निस लड़ते रहे और 8 बार जेल गए उनकी प्रतिमा के अनावरण में 77 वर्ष लग गए तो ये खुद में दुर्भाग्यपूर्ण है।
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