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कोसी में कटाव हुए घर की भराई करने पर खनन अधिकारी काटते है चलान।

कोसी में कटाव हुए घर की भराई करने पर खनन अधिकारी काटते है चलान।

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*संवाददाता :-* विकास कुमार सहरसा (बिहार)।

*स्टोरी :-* कोसी में कटाव हुए घर की भराई करने पर खनन अधिकारी काटते है चलान।

*एंकर :-* बिहार में अब तक खनन माफिया का ख़ौफ देखने को मिला जिसने अधिकारियों तक को मौत की नींद सुला दिया। लेकिन कोसी तटबंध के भीतर खनन अधिकारियों द्वारा ऐसा ख़ौफ तैयार किया जा रहा है जिससे आम लोग भयभीत होकर उग्र रूप से आंदोलन करने की तैयारी में एकत्रित हो रहे हैं। दरअशल कोसी हर वर्ष तटबंध के भीतर गुजर बसर करने वालों की बीच तबाही मचाती है। किसी वर्ग बालुओं का रेत जमा कर जाती है तो कहीं घर काट कर ले जाती है। कोसी पीड़ित हर वर्ष कटाव होने के बाद अपने घर को भरते हैं यह सिलसिला बदस्तूर वर्षों से जारी है। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है की खनन विभाग की महिला निरीक्षक तटबंध के भीतर जाकर अपने घरों को भरने वाले ट्रैक्टर , जेसीबी वाहनों पर अनवरत चलान काट रहे हैं। खनन विभाग द्वारा अनवरत इस रवैये से तटबंध के भीतर जीबन यापन करने वाले अधिकारी के खिलाफ उग्र हो चुके हैं।

सैकड़ो घर परिवार कोसी कटाव से हैं पीड़ित :-
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जिले के नोहट्टा , सलखुआ ,महिषी , सिमरीबख्तियारपुर आदि प्रखंडों के कई पंचायत कोसी तटबंध के भीतर जीबन यापन करते हैं। हर वर्ष कोसी ऐसे परिवारों को तबाही मचाती है। इसी कड़ी में जब नोहट्टा प्रखंड के नौला, शतौर , डरहार , बकुनियाँ , हाँटी , शाहपुर का रामजी टोला आदि में भी इस वर्ष पानी आया तो कई घर परिवार को कटाव का सामना करना पड़ा। लेकिन जैसे ही पानी कम हुआ लोगों अपने ट्रैक्टर , जेसीबी आदि से अपना घर मिट्टी से भरना शुरू किया तो खनन निरीक्षक द्वारा वैसे वाहनों पर चलान काटना शुरू कर दिया गया। खनन निरीक्षक के इस रवैये से लोग आक्रोशित होकर उग्र आंदोलन करने के लिए सोच रहे हैं।

तटबंध के भीतर आज भी है जर्जर सड़क :-
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तटबंध के भीतर आज भी पूर्ण सड़को का जाल नही बिछ सका है और जिला मुख्यालय पहुँचने में तटबंध के भीतर के लोगों को लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती हैं। वहीं प्रखंड मुख्यालय अगर कोई जाना चाहता है तो लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है जबकि नाव के माध्यम से अगर वहीं प्रखंड मुख्यालय जाना हो तो महज 04 से 05 किलोमीटर की दूरी तय कर लोग पहुँच जाते हैं। दूसरी और सबसे प्रवल समस्या स्वास्थ्य की है अगर कोई बीमाड़ पर जाये तो काफी कठनाइयों का सामना करना पड़ता है और कई लोग स्वास्थ्य केंद्र पहुँचते पहुँचते दम तोड़ देते हैं। नौला के सुभलेश कुमार , सुभाष कुमार , प्रमोद कुमार आदि ने बताया कि तटबंध के भीतर जीबन बद से बद्दतर है। यहाँ सब चुनाव में नजर आते है उनके बाद फिर शायद ही कोई दर्शन देता है। इस इलाके में प्रखंड मुख्यालय के समीप से इस पार तक नदी में पुल नही बनेगा यह क्षेत्र विकास से कोसों दूर ही रहेगा।

anupam

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