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सरकारी प्रणाली और अधिकारियों की मनमानी से किसान परेशान

सरकारी प्रणाली और अधिकारियों की मनमानी से किसान परेशान

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रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार।

एंकर:-मामला सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय मुख्यालय अंतर्गत क्षेत्र के किसानों को सरकारी प्रणाली और अधिकारियों की मनमानी से परेशान होने की है।
पीड़ित किसानों ने बताया की धान की बिक्री को लेकर सरकार का गलत प्रणाली और अधिकारियों की मनमानी से हमलोग परेशान हैं।
एक समय था जब पंचायत के किसानों का धान पंचायत में हीं बिकता था।
जिससे किसान खुश था।
लेकिन सरकार का गलत प्रणाली से आज जनमीन किसान परेशान रहता है।
क्योंकि सरकार का प्रणाली गलत तरीके से किया गया है।
किसान हीं है जो सब का पेट भरता है।
तो फिर मालिकाना हक किसानों को मिलना चाहिए।
वहीं अधिकारियों का विरोध करते हुए मनमानी का आरोप लगाया।
सभी अधिकारी जनता का सेवक होता है।
आज सभी अधिकारी जनता को हीं सेवक समझता है।
सभी किसान और जनता के दिए गए टैक्स के रूप में रुपए से सभी को सैलरी मिलती है।
आज वही लोग परेशानी का मार झेल रहे हैं।
वहीं सरकार द्वारा चलाया जा रहा लोक शिकायत निवारण का विरोध जताया।
क्योंकि सरकार द्वारा चलाए जा रहे लोक शिकायत निवारण में इंसाफ नहीं मिलने पर पूर्णरूप से विरोध किया।
एक तरफ सरकार लोक शिकायत निवारण चला कर जनता को इंसाफ दिलाने का भरोसा जताया है।
लेकिन दूसरी तरफ जनता को लोक शिकायत निवारण से भरोसा उठता जा रहा है।
क्योंकि लोक शिकायत निवारण सिर्फ नाम का रह गया है।
समय पर इंसाफ मिलता हीं नहीं है।
क्योंकि किसानों की धान सही समय पर सही तरीके से खरीद नहीं हो पाती है।
एक तरफ किसानों को अन्य का दाता कहा जाता है।
तो वहीं दूसरी तरफ किसानों की समस्या को कोई सुनने वाला नहीं है।
जिस किसान के अन्य से राज्य देश विदेश चलता है।
आज उस किसान को अनाज का सही कीमत नहीं मिल रहा है।
किसानों को अनाज बेचने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
साफ दिखाई दे रहा है।आज बाजार में कोई भी सामान हो एक माचिस हीं क्यों नहीं हो।
उसका कीमत दुकानदार लगता है।
लेकिन एक किसान है जो इतनी धूप, गर्मी, बरसात, में परिश्रम कर पसीना बहाकर अनाज उपजाता है।
फिर भी किसानों के अनाज का कीमत दुकानदार तय करता है की अनाज का क्या कीमत होना चाहिए।
इससे ज्यादा बदकिस्मती किसानों के लिए क्या हो सकती है।
जबतक किसानों को अपना उपजाया अनाज का कीमत लगाने का अधिकार नहीं मिलता है।
तबतक किसान खुशहाल नहीं हो सकता है।
अब देखना लाजमी होगा की कब तक किसान और जनता परेशानी का मार झेलती रहती है।

anupam

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