सहरसा बिहार सोनवर्षा राज अंचल के अंचलाधिकारी और बीएफसी के जिला प्रबंधक पर होगा प्रपत्र “क” गठित
सोनवर्षा राज अंचल के अंचलाधिकारी और बीएफसी के जिला प्रबंधक पर होगा प्रपत्र "क" गठित

रिपोर्ट विकास कुमार सहरसा बिहार
सोनवर्षा राज अंचल के अंचलाधिकारी और बीएफसी के जिला प्रबंधक पर होगा प्रपत्र “क” गठित।
– कोसी प्रमंडलीय आयुक्त ने डीएम दिया निर्देश
– भू स्वामित्व मूल्यांकन सह प्रमाण पत्र निर्गत करने में जमीन की वास्तविक कीमत से अधिक दिखाया राशि
– उक्त प्रमाण पत्र से बन गए डीएसडी
– राज्य खाद्य निगम की प्राप्त निविदा को रद्द करने की भी अनुसंशा
*सहरसा :-* कोसी प्रमंडलीय आयुक्त ने सोनवर्षा राज अंचल के अंचलाधिकारी उदय शंकर मिश्र और राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक दीपक कुमार के ऊपर प्रपत्र “क” गठित करने का आदेश निर्गत किया है। उक्त आदेश उनके द्वारा जारी किए गए भू-स्वामी सह मूल्यांकन प्रमाण पत्र निर्गत करने में की गई गड़बड़ी को लेकर किया गया है। जिसमें उन्होंने सोनबरसा राज अंचल क्षेत्र के मंगवार गांव निवासी स्व जयकांत सिंह के पुत्र अरविंद सिंह को बिना किसी जांच-पड़ताल के उनके द्वारा दाखिल जमीन के कागजात पर 32 लाख 78 हजार 250 रुपए के भूस्वामी सह मूल्यांकन पत्र निर्गत कर दिया गया है। जबकि अरविंद सिंह द्वारा अंचलाधिकारी को दिए गए जमीन के कागजात में उनके अलावे , उनके पिता , भाई और चाचा का भी हिस्सा होने का मामला सामने आया है।
चुकी भू स्वामी प्रमाण पत्र व्यक्तिगत रूप जमीन के स्वामी होने पर ही निर्गत किया जाता है। ऐसे में पिता , भाई , चाचा सहित अन्य हिस्सेदार की जमीन पर किसी एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए निर्गत किए गए भू स्वामी मूल्यांकन प्रमाण पत्र को अवैध मानते हुए प्रपत्र क गठित करने की सिफारिश की गई है।
क्या दिया गया है निर्देश –
प्रथम अपीलीय प्राधिकार सह प्रमंडलीय आयुक्त गोरखनाथ द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि बिहार सरकार के नियमावली के विरुद्ध अरविंद सिंह को डीएसडी में चयनित किया गया है। उक्त वाद लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के द्वारा पारित आदेश के विरोध में दायर किया गया था। जिसमें बताया गया था कि सोनबरसा राज के अंचलाधिकारी ने अरविंद सिंह को परिवहन हथालन सह आपूर्ति अभिकर्ता के रूप में वर्ष 2022 के लिए चयनित किया गया है। जबकि नियमानुसार आवेदन कर्ता के नाम से दिए गए भूस्वामी मूल्यांकन प्रमाण पत्र 15 लाख रुपए के ऊपर होना चाहिए। लेकिन आवेदक अरविंद सिंह द्वारा जमीन की जो प्रमाण पत्र अंचलाधिकारी को दिया गया था। उनमें उनके जमीन के स्वामी उनके अलावा उनके पिता , भाई और चाचा भी हैं। जिसके कारण उनके हिस्से की जमीन कम हो जाती है।
ऐसे में जब लोक प्राधिकार द्वारा सोनबरसा राज अंचलाधिकारी से जवाब मांगा गया तो उन्होंने संतोषप्रद जवाब नहीं दिया। वही अंचलाधिकारी द्वारा निर्गत भू स्वामित्व मूल्यांकन प्रपत्र पत्रांक 238-2 दिनांक 17 मार्च 22 के अवलोकन से ही ज्ञात होता है कि अरविंद सिंह के अलावा उक्त जमीन में उनके पिता , भाई और चाचा स्वामी हैं।
अंचलाधिकारी सोनबरसा के द्वारा बताया गया कि स्व जयकांत सिंह के तीन पुत्र हैं। जिनमें सुनील सिंह अरविंद सिंह और राजेश सिंह है। इस प्रकार अरविंद सिंह को व्यक्तिगत रुप से 23.5 डिसमिल का ही हिस्सा बनता है। वही भूमि का मूल्य 46 हजार 500 प्रति डिसमिल के दर से यह रकम मात्र 10 लाख 92 हजार 750 रुपए ही बनता है। जबकि अंचलाधिकारी से मिलीभगत कर उन्होंने प्रमाण पत्र में 32 लाख 78 हजार 250 रुपए का स्वामी बना लिया है। जिसके बल पर वे डीएसडी में चयनित हो गए हैं।
ऐसे में सभी नियमों की अनदेखी करते हुए अरविंद सिंह को अंचलाधिकारी द्वारा लाभ दिया गया। इस मामले में राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक भी पूर्ण रूप से दोषी हैं। इस में निविदा को रद्द करते हुए उपरोक्त दोनों पदाधिकारियों के विरुद्ध प्रपत्र क गठित करते हुए विभागीय कार्रवाई प्रारंभ की जाए।
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