बीजेपी के विकास की पोल खोलो। अभियान के तहत जनता के सामने इनकी हकीकत बया करती तस्वीरे।
बीजेपी के विकास की पोल खोलो। अभियान के तहत जनता के सामने इनकी हकीकत बया करती तस्वीरे।

बीजेपी के विकास की पोल खोलो। अभियान के तहत जनता के सामने इनकी हकीकत बया करती तस्वीरे।
बांदा । 21 वीं सदी में तेजी से दौड़ता हुआ आज पुरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. लेकिन दूसरी तरफ देश के कई कोने आज भी विकास से कोसो दुर मूलभूत सुविधाओं के अभाव में विकास की आजादी की राह तक रहे हैं। उन्हीं में से जिले के ग्राम पंचायत 150 गांव में से ग्राम पंचायत बाघा को माडल गांव चुना गया था मॉडल गांव की तस्वीर और वहां की बदहाली देखकर हर व्यक्ति का हृदय व्यतीत हो जाएगा , पल्हरी, बबेरू का मर्का, शिव कोर्रही व अतर्रा तहसील व महुआ ब्लाक का गांव गुमाई है। इन गांव के ग्रामीणों की माने तो यहां विकास का दूर-दूर तक नाम नहीं है। ग्रामीण विकास से दूर बदहाली के आंसू बहा रहे हैं. जिसे पोछने की जहमत आजतक किसी ने नहीं उठाई।
महुआ ब्लाक के ग्राम गुमाई के रमेश कहते हैं कि गांव. आजादी के 76 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। बच्चों के स्कूल जाने का रास्ता, पेयजल समस्या, बिजली की समस्या से ग्रामीण प्रतिदिन संघर्ष करते हैं। देश की आजादी के 77 वा वर्ष बाद भी आज भी गांव अपने विकास के आजादी की बाट जोह रहा है। 2017 में बिजली कनेक्शन कर दिए गए मीटर लगा दिए गए। सन 2017 से अब तक बिजली नहीं पहुंची बस आ रहा है तो बिजली बिल का बिल। कोई सुनने वाला नहीं हैं। कई बार तहसील समाधान दिवस व मुख्यमंत्री पोर्टल में शिकायत की कुछ नहीं हुआ। गांव में आज तक बिजली आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई है। ढिबरी युग में जीवन बिता रहे हैं यहां के लोग। बच्चों की पढाई बिन बिजली बाधित होने लगी है। वा ग्राम पंचायत पलहरी ब्लाक नरैनी के कुछ मजदूरों का बिजली बिल न जमा होने के कारण आरसीबी काट दिया गया है जबकि मौजूदा सरकार उद्योगपतियों का करोड़ों रुपए माफ कर सकती है लेकिन मजदूरों का कर्ज माफ नहीं कर सकती है और दूसरी बात श्रम विभाग में बांदा में लगातार भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार हो रहा है फाइनल लंबित पड़ी है अगर कुछ फाइल में पास हो गई हैं तो सालों से भुगतान नहीं और बिना जांच किए श्रमिकों की फाइलें निरस्त की जा रही है जबकि सच में वह श्रमिक कामगार श्रमिक है जॉब कार्ड धारक है मनरेगा के मजदूर हैं अधिकारी शुद्ध नहीं ले रहे कई बार विभिन्न ब्राह्मणों ने बांदा जिला अधिकारी को लिखित में प्रार्थना पत्र भी दिया है ग्रामीणों का दर्द यहीं खत्म नहीं होता इस गांव में पानी की भी है। गांव के स्कूल जाने वाले रास्ते में दलदल रहता है। जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। बच्चे स्कूल जाने से कतराते हैं। यही हाल ग्राम ग्राम पंचायत बाघा, पल्हरी, मर्का, बबेरू, कोर्रही का है। इन गांवों में पहुंची जेडीयू की महिला मंच की प्रदेश अध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल व उनकी टीम ने ग्रामीणों के दर्द को जाना। उन्होंने बताया कि गांव वाले हर दिन कष्ट भरी जिन्दगी बिता रहे हैं। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को लिखित आवेदन देकर गांव में रास्ता, बिजली और पानी के सुविधा की मांग की लेकिन आज तक किसी ने इनकी नहीं सुनी। ग्रामीण अब जनप्रतिनिधियों से गांव पर नजरे इनायत करने की गुहार लगा रहे हैं। पंचायत सचिव, लेखपाल को नियमानुसार गांव न आने, बैठक न करने की शिकायत ग्रामीणों ने शालिनी सिंह पटेल से की। कहा कि कागजों में मनरेगा की मजदूरी मिलती है। पौधारोपण, पेंशन, आवास, शौचालय में वितरण के जिम्मेदारों ने कमीशन का खेल चला रखा है। जरूरतमंद इन योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। कुछ लोग सांठगांठ कर विकास योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं। शालिनी सिंह पटेल का कहना है कि आज भले पुरा देश आजादी के अमृत महोत्सव मनाते हुए विकासशील देश के दंभ भर रहा है. लेकिन इन गांव वालों के लिए आजादी महोत्सव तो तब होगी जब गांव तक मूलभूत सुविधा पंहुचेगी।
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