गढवा बेकार पड़े चापाकल की समाजसेवी ने निजी खर्च से कराया मरमती

झारखंड गढ़वा से दयानंद यादव की रिपोर्ट
कांडी : हम हमेशा से सुनते आये हैं “जल ही जीवन है”। पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है जल, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल। धरती का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किन्तु इसमें से 97% पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है, पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3% है।
हम बात कर रहे हैं कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अन्तर्गत कांडी पंचायत के ही ढबरिया गांव की।
जहां न जानें कितने दिनों से चापाकल बेकार पड़ी थी।
ग्रामीणों ने बहुत बार पंचायत के मुखिया साहित और भी जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई किन्तु आज तक किसी ने नहीं सुनी।
बीते दिन ढबरिया के ग्रामीणों ने प्रखण्ड के ही युवा समाजसेवी दिनेश कुमार को जानकारी दी।
जो की दिन रात समाजसेवा में लगे रहते हैं।
फिर क्या दिनेश कुमार ने ग्रामीणों की पीड़ा को समझते हुए तुरंत मौके पर पहुंच कर निजी खर्च लगाकर चापाकल की मरमती कराया।
जिससे कि अब लगभग सैकड़ों की आबादी वाले लोग स्वच्छ पानी पी सकेंगे।
दिनेश कुमार ने कहा कि जल पृथ्वी पर निवास करने वाले समस्त जीवो को जीवित रखने वाले प्रमुख तत्वों में से एक है।
वैसे मे अगर चापाकल बेकार पड़े रहे तो वैसे में लोग मजबुरन खुला जगह की जल सेवन करने लगते हैं।
जो की स्वस्थ शरीर के लिए काफ़ी घातक है।
अनेकों बीमारियों का रूप ले सकता है।
उन्होने कहा कि मैं हर संभव अपने पूरे प्रखण्ड वासियों के लिए तैयार हूं ।
कोई भी समस्या से निजात दिलाने की भरपूर कोशिश करूंगा।
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