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भविष्य के निर्माता का भविष्य पानी के दलदल में डर के साये में स्कूल पहुँच रहे है शिक्षक

भविष्य के निर्माता का भविष्य पानी के दलदल में डर के साये में स्कूल पहुँच रहे है शिक्षक

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*शिक्षक दिवस के मौके पर सहरसा जिले से खास रिपोर्ट।*

*लोकेशन :-* सहरसा।
*संवाददाता :-* विकास कुमार 8877760777।

*स्टोरी :-* भविष्य के निर्माता का भविष्य पानी के दलदल में डर के साये में स्कूल पहुँच रहे है शिक्षक।

*एंकर :-* कहते हैं शिक्षक के गोद में प्रलय और निर्माण खेलता है लेकिन जब शिक्षक ही प्रलय का शिकार हो जाय तो आखिड़ क्या होगा ? दरअशल आज शिक्षक दिवस है और और शिक्षक के पद को धारण करते हुए आगे चलकर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के राष्ट्रपति बने। उनके जन्म दिवस पर प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

लेकिन बिहार में शिक्षा विभाग की कमान जब तक बिहार के अपर सचिव के के पाठक रहे शिक्षक बच्चों के निर्माण में कम खुद को प्रलय के शिकार की दल दल जान जोखिम में डालकर विद्यालय पहुँच रहे है।

अब जो खबर हम आपको दिखाने जा रहे है यह खबर बिहार के सहरसा जिले से आ रही है जहां बाढ़ के समय कोशी तटबंध के अंदर विद्यालय में जाने के लिए शिक्षकों को एक- दो नही बल्कि तीन नदी पार करके विद्यालय जाना पड़ता है। सरकार ने आदेश जारी किया है कि सभी शिक्षक ई शिक्षा एप्प पर ऑन लाइन अपना एटेंडेंस बनाएंगे। लेकिन जब कोशी की दल दल से शिक्षक विद्यालय पहुचेगें तब तो ऑन लाइन एटेंडेंस बनायेगें। यहां शिक्षक जान जोखिम में डालकर किसी तरह विद्यालय पहुँच रहे है तीन नदी को पार करके विद्यालय पहुँच रहे है और उनके बाद विलंब होने पर आधे दिनों का वेतन अथवा स्पष्टीकरण का जवाब देने को तैयार रहते है।

आखिड़ ऐसी परिस्थितियों में देश और बच्चों के भविष्य के निर्माता किस तरह विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का निर्माण कर सकेगें जिसकी जिंदगी खुद कोशी नदी के प्रलय से और सरकारी बाबुओं के निदेश से गुजर रही है।

इसी कड़ी में हमारी मुलाकात कोशी नदी पार करके जाने वाले शिक्षक रजनीश कुमार से हुई। ये शिक्षक तीन नदी पार करके नव प्राथमिक विद्यालय कटियाहि प्रत्येक दिन जाते है। यह विद्यालय जिले के नोहट्टा प्रखंड अंतर्गत तटबंध के भीतर अवस्तिथ है। उन्होंने बताया कि कोशी नदी में परेशानी ये है कि पीछे में कोशी नदी है कोशी नदी को पार करने में डेढ़ से दो घंटे लग जाती है। ऐसे में विद्यालय पहुँचने में समय लग ही जाती है। स्कूल पहुँचने के बाद ई शिक्षा पोर्टल पर नेटवर्क ढूंढना पड़ता है। सरकार से हमारी दरखास्त है कि तटबंध के भीतर अथवा दुर्गम जगह पर ऑन लाइन की जगह ऑफ लाइन हाजरी बनवाया जाय, ई शिक्षा पोर्टल पर अत्यधिक लोड होने के कारण जल्दी काम नही करता है। नेटवर्क की अत्यधिक समस्या रहती है। नेटवर्क के कारण 09 बजे बनने वाला एटेंडेंस 12 बजे बनता है और इस तरह हमारा वर्ष भर में मिलने वाला सीएल यूं ही खत्म हो जाता है। हम शिक्षक की ACS से मांग है कि इस सिस्टम को कम से कम ठीक किया जाय तटबंध के भीतर के शिक्षकों के लिए।

anupam

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