सुपौल जय श्री राम जी,की जयकारे से गूंज उठा शहर, गली, मोहल्ला चौक, चौराहा
रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार।
एंकर:-मामला सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय मुख्यालय अंतर्गत बाजार के मेलाग्राउंड परिसर स्थित अजगैबी काली मंदिर से श्री रामचंद्र जी,का जन्मोत्सव महोत्सव के उपलक्ष्य पर रामनवमी पर्व मनाते हुए रथ पर विराजमान कर शोभा यात्रा निकालने की है।
श्री रामचंद्र जी के जन्मोत्सव पर रामनवमी पर्व मनाया जाता है।
ये हिन्दू रीतिरिवाजों की प्रथा सदियों से चली आ रही है।
आज हीं के दिन कई सौ वर्ष पूर्व में श्री रामचंद्र जी का जन्म हुआ था।
जिसको लेकर हिन्दू श्रद्धालुओं द्वारा यादगार के लिए श्री रामचंद्र जी जन्मोत्सव पर हर वर्ष की भांति रामनवमी पर्व मनाते हैं।
रामनवमी पर्व को लेकर सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर छोटे छोटे बच्चों द्वारा श्री रामचन्द्र जी, सीता माता, लक्षमण जी, बजरंग बली,बनाकर रथ पर बैठाकर गाजे बाजे, और शस्त्र,भगवा झंडा,के साथ लहराते हुए हर घर भगवा छाएगा राम राज फिर आएगा।
जय श्री राम, जय श्री राम, के नारे लगाते हुए शहर, गली, मोहल्ले, चौक, चौराहा,श्री राम चौक, होते भ्रमण कर पुनः मेलाग्राउंड स्थित मंदिर में समापन किया गया।
श्री रामचंद्र जी,हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम राम थे।
उनका कथन था रघुकुल रीत सदा चली आई जान जाए पर वचन न जाए खाली।
श्री रामचंद्र जी,दूसरों का उद्धार करने के लिए-14-वर्ष वनवास में बिताए।
श्री रामचंद्र जी, वनवास नहीं जाते तो केवट, का उद्धार नहीं होता।
सबरी के जूठे बैर खा कर उनका उद्धार किया।
रामचंद्र जी, सीता माता,वनवास में अपने कष्ट काटकर जटायू का उद्धार किया।
श्राप से पत्थर बनी अहिल्या, का उद्धार किया।
श्री रामचंद्र जी, के नाम से हनुमान जी नल निल, द्वारा सेतु बांध बनाकर लंका पहुंचकर रावण, के राक्षस कुल का नाश किया।
ऐसे थे हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी।
जितनी भी उनके बारे में गाथा किया जाय उतना कम पड़ेगा।
वहीं रामनवमी पर्व पर महिलाओं ने भी श्री बजरंग बली, मंदिर में रामचरित मानस पाठ करते नजर आए।
साथ हीं श्री रामचंद्र जी,की शोभा यात्रा में श्रद्धालु खुशी से झूमकर खूब थिरकते नजर आए।
वहीं कुछ श्रद्धालुओं ने रामनवमी पर्व पर बजरंग बली मंदिर में विधि पूर्वक पूजा अर्चना भी की।
श्री रामचंद्र जी, की शोभा यात्रा में भाड़ी मात्रा में पुलिस प्रशासन सहित बच्चे, बूढ़े, जवान, हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल थे।
बाईट:-श्रद्धालु।